Sunday, 22 May 2016

268 वर्ष पूर्व हुआ असोथर स्टेट का खात्मा

फतेहपुर। अवध के नवाब सआदत खां ने 278 साल पहले राजा भगवंतराय खीची की विश्वासघात से हत्या कराकर असोथर स्टेट का अस्तित्व समाप्त किया था। इसके बाद यह भू-भाग अवध के नवाब के अधिपत्य में चला गया था। असोथर नरेश का समाधि स्थल अभी भी सांखा गांव से समीप मुडचौरा में उनकी वीरता बयां कर रहा है।
वर्ष 1712-13 में दिल्ली की गद्दी पर मुगल वंशज जहांदार शाह बैठा, तो बंगाल के सहायक सूबेदार फर्रुखसियर ने अपने को सम्राट घोषित ही नहीं किया, बल्कि 18 अक्तूबर को पटना से दिल्ली पर धावा बोलने के लिए कूच कर दिया था। जहांदार शाह के पुत्र अजउद्दीन के नेतृत्व में फर्रुखसियर की सेना के जिले के खजुहा नामक स्थान पर युद्ध हुए, जिसमें ऐझी परगना प्रभावशाली जमीदार भगवंतराय खीची की मदद से फर्रुखसियर को विजय हासिल हुई और 11 जनवरी 1713 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसके बाद भगवंतराय का दबदबा बढ़ा, तो उसने में अपने को असोथर स्टेट का राजा घोषित कर दिया था। मोहम्मद रंगीले शाह दिल्ली की कुर्सी पर बैठे, तो 1719 में भगवंतराय ने अपने को स्वतंत्र राजा घोषित किया और चंदेल शासकों के पैनागढ़ (वर्तमान में पैनाकला) के किले की मरम्मत कराई। भगवंतराय की मित्रता छत्रसाल बुंदेला, राव राजा मर्दन सिंह, डौडियाखेडा आदि प्रभावशाली राजाओं से थी। वर्ष 1734 में प्रधानमंत्री वजीर आजम ने कोड़ा के फौजदार एवं अपने साले जाँनिसार खां को खत्म करने के लिए भेजा। भगवंतराय ने बड़ी चतुरता से आक्रमण करके फतेहपुर में जांनिसार को मार डाला था और उसकी बेगमों को ले जाकर अपने संबंधियों से शादी कराई थी और जानिसार की पुत्री का विवाह अपने पुत्र रूपराय के साथ की थी। इसकी सूचना पर कमरुद्दीन ने स्वयं 70000 सैनिकों के साथ 1737 में गाजीपुर किले में धावा बोला था, लेकिन रात में भगवंतराय किला छोड़कर भाग निकले थे। यमुना में बाढ़ के कारण कमरुद्दीन उनका पीछा नहीं कर पाया और उसे वापस लौटना पड़ा था। दिल्ली सरकार ने भगवंतराय को दबाने के लिए अवध के नवाब सआदत खां नर्वन को भेजा, जो कानपुर, खजुहा होते हुए गाजीपुर पहुंचा। किले के बाहर हथेमा गांव के समीप मुडचौरा कुएं के मैदान में भगवंतराय ने दस हजार सैनिकों के साथ मुकबला कि या, जिसमें चालीस हजार सैनिकों वाली सआदत की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा। ऐसी हालत में दोनों सुलह हो गई। इसके बाद भगवंतराय को 14 परगनों का स्वतंत्र राजा मान लिया गया। बाद में अवध के नवाब की गुप्त मंत्रणा पर चौधरी दुर्जन सिंह पूजा करते समय भगवंतराय के कटारी भोंकर हत्या कर दी थी और उनके सेनापति भवानी सिंह को भी मार डाला था। इसके बाद यह भू-भाग अवध नवाब के अधिपत्य में चला गया था।
इंसेट
1664 में बसा शहर का आबूनगर मोहल्ला
फतेहपुर। बांदा जिले के पैलानी गांव निवासी अबुल समद इल्तमास सैद खां नाजिम इलाहाबाद के फरमान पर 1684-85 ईसवी में पांच सौ बीघा फतेहपुर के आबूनगर मोहल्ले में मिली जमीन निवास स्थान, सरांय, मस्जिद, तालाब, कुओं आदि का निर्माण कराया था। भवन का अवशेष अभी भी विद्यमान है। इसी दौरान फतेहपुर के हाकिम अबुल गनी ने शहर में कटरा अब्दुलगनी नामक मोहल्ला बसाया था। कोतवाली के पास सराय की मस्जिद का निर्माण कराने के साथ रस्तोगीगंज मोहल्ला भी बसाया था।

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