हरप्रीत और उनका स्कूल
सत सिंह, चंड़ीगढ़
कजन्स के साथ नोंक-झोंक होना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन हरप्रीत कौर ने इसे एक बड़े बदलाव के लिए इस्तेमाल किया। उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपने गांव का नाम बदलवा दिया। हरप्रीत बताती हैं,'मेरी मौसी का बेटा मुझे और मेरे भाई-बहनों को हमेशा चिढ़ाता था। कहता था, तुम लोग गंदे गांव के हो, गंदे गांव के हो...मुझे बड़ा खराब लगता था।'
दरअसल हरियाणा के फतेहाबाद में एक गांव का नाम है 'गंदा'। यह गांव रतिया ब्लॉक में है। जगहों के नाम अजीबो-गरीब तो होते हैं लेकिन यह नाम बताने में तो किसी को भी शर्मिंदगी होगी। हरप्रीत को भी अपने गांव के नाम को लेकर अक्सर दोस्तों और कजन्स के सामने शर्मिंदा होने पड़ता था। हालांकि अब खुशी की बात यह है कि इस गांव का नाम जल्दी ही 'गंदा' से बदलकर अजीत नगर हो जाएगा। गुरु गोविंद सिंह के बड़े बेटे का नाम अजीत सिंह था, उन्हीं की याद में गांव को नया नाम मिलेगा।
गांव की पंचायत जो पिछले 27 सालों में नहीं कर सकी, वह आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 14 साल की एक दलित लड़की ने कर दिखाया। हरप्रीत ने जब पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने के बारे में अपने माता-पिता को बताया था तो उसे डांट पड़ी थी। उसके पिता ने कहा था कि वह परिवार के लिए बेवजह की परेशानियां खड़ी न करे। हरप्रीत अपने चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर है। उसके पिता गुरजीत सिंह मलकट और मां सुखपाल कौर दूसरों के खेतों में काम करते हैं और महीने में तकरीबन 6,000 रुपये कमा लेते हैं। उन्होंने हरप्रीत से कहा कि वह लोगों के चिढ़ाने पर ध्यान न दे। गुरजीत मलकट ने कहा,'हम गरीब, सीधे-सादे लोग हैं। गांव के सरपंच से बात करना तो हमारे लिए बड़ी बात है और वह प्रधानमंत्री से बात करने को कह रही थी! स्वाभाविक है, हमने उसका विरोध किया।' आखिरकार हरप्रीत ने दिसंबर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर बताया कि कैसे उसके गांव के लोगों को अपने नाम की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है।
इस गांव की आबादी तकरीबन 2,500 की है। गांव का नाम बदलने की पहल 1989 में भी की गई थी लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। हरप्रीत की अपील के बाद चीजें बदलीं। पीएमओ ने उसकी चिट्ठी का जवाब दिया और हरियाणा सरकार को मामले में दखल देने को कहा। पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने गांव का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और फाइनल मंजूरी के लिए इसे गृह मंत्रालय भेज दिया है।
अब सरपंच और गांव के सभी लोग बहुत खुश हैं। सरपंच लखविंदर राम ने कहा कि उन्हें हरप्रीत पर गर्व है और 26 जनवरी को उसे सम्मानित करेंगे। यह किशोरी अपने छोटे से गांव में किसी सिलेब्रिटी जैसी हो गई है। हालांकि हरप्रीत इतने से ही संतुष्ट नहीं है। वह अपने गांव में गर्ल्स स्कूल और पशु चिकित्सालय के चारों ओर बाउंड्री वॉल बनवाना चाहती है। हरप्रीत ने बताया कि कुछ अराजक लोग उसके स्कूल की जमीन में अतिक्रमण करते रहते हैं जिससे पढ़ाई में बाधा आती है।
Sunday, 8 January 2017
14 साल की दलित लड़की ने बदलवा दिया अपने गांव का 'गंदा' नाम
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