वाराणसी. सुजीत मौर्या को बीएसपी ने वाराणसी नॉर्थविधानसभा से मैदान में उतारा है। बीजेपी विधायक रवींद्र जयसवाल से सुजीत 2012 विधानसभा चुनाव में 2200 वोट से पीछे रह गए थे। फूलों की खेती करने वाले किसान सुजीत को 1994 में एक एमएलए की बात इतनी बुरी लगी कि चार दोस्तों से 2500 रुपए उधार लेकर 1995 में पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सुजीत ने बताया, उस दौर में मुश्किल से फूल बेचकर परिवार चलता था। आज उसी खेत में इंटर कॉलेज खोलकर मैनेजर मैनेजर बन चुके हैं।
एमएलए ने टाइम न होने की बात कहकर भगा दिया
- 1993 की बात है। एक दिन अपने क्षेत्र के तत्कालीन एमएलए के पास गया, लेकिन उन्होंने टाइम न होने की बात कहकर भगा दिया।
- इसके बाद मन में ठान लिया कि राजनेता ही बनना है।
- 1994 में इंटर पास करने के बाद मायावती के विचारधारा से प्रभावित होकर अपने दोस्तों की राय पर बीएसपी ज्वाइन किया।
- 1995 में वेस्पा स्कूटर से प्रचार और 90 वोट से जीतकर पूर्वांचल में पहली बार बीएसपी का झंडा गाड़ने वाले पहले जनप्रतिनिधि पार्षद बने।
- 2001 में वॉर्ड में महिला सीट हो जाने पर अपनी लोकप्रियता के दम पर अपनी मां दुर्गा देवी को 3700 वोट से जीत दिलवाई, जो उस साल का पूरे प्रदेश में एक रिकॉर्ड जीत थी।
- 2006 में एक बार फिर इसी वॉर्ड से अपने छोटे भाई प्रदीप कुमार उर्फ बेनाम को निर्वाचित करवाकर मिनी सदन में भेजने का काम किए।
- 2017 में एक बार फिर पार्टी ने लोकप्रियता को देखते हुए उत्तरी विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है।
- बता दें, इस दौरान सुजीत पार्टी में वॉर्ड अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष और जिला महसचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे।
इतनी संपत्ति केमालिक हैं सुजीत
- खेती वाली पैतृक जमीन पर एक इंटर कॉलेज।
- एक स्कार्पियो कार, और एक बाइक।
- एक राइफल और एक पिस्टल।
- घोषित संपत्ति 20 लाख।
No comments:
Post a Comment
Thank you For Comment